Basant Panchami Special : बसंत पंचमी पर भूलकर भी ना करें ये काम, सरस्वती मां हो जाएंगी रूष्ट
इस तरह करें Basant Panchmi की पूजा
बसंत पंचमी (Basant Panchmi) पर पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करें। विद्या की देवी मां सरस्वती को एक चैकी पर गंगाजल छिड़ककर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें और रोली-मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि प्रसाद के रूप मे अर्पित करें। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें और बच्चों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं।
मां सरस्वती को श्वेत चंदन, पीले तथा सफेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें। मां सरस्वती के चरणों में गुलाल अर्पित करें। अगर इस दिन आप मां सरस्वती को केसर मिश्रित खीर का भोग लगाते हैं तो आप पर मां सरस्वती की विशेष कृपा होगी और आपको अभीष्ट फल की प्राप्ति होगी। बसंत पंचमी के दिन सरस्वती कवच का पाठ अवश्य करें। इस दिन मां सरस्वती के मूलमंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का 108 बार हल्दी की माला से जाप करना सर्वोत्तम माना जाता है।
सरस्वती पूजा करने के बाद मां सरस्वती का हवन करना चाहिए। हवन के लिए हवनकुण्ड पर सवा हाथ चारों तरफ नापकर एक निशान बना लेना चाहिए। अब इस भूमि को कुशा से साफ करके गंगा जल छिड़ककर पवित्र करें और हवन करें। हवन की जगह नवग्रह बना लें। हवन करते समय गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण करें। सरस्वती माता के मंत्र ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः स्वहा‘‘ बोलकर एक सौ आठ बार हवन करें। हवन के बाद सरस्वती माता की आरती करें और हवन का भभूत लगाएं।
क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्माजी ने समस्त संसार की रचना की। उन्होंने मनुष्य, जीव-जन्तु, पेड़-पौधे बनाए लेकिन फिर भी उन्हें अपनी रचना में कमी लगी। इसलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चैथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे ही उन्होंने वीणा बजायी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज में मानो सुर आ गया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने उन्हें वीणा की देवी सरस्वती का नाम दे दिया। वह दिन बसंत पंचमी का था। यही कारण है कि हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।
बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व
बसंत पंचमी का पौराणिक महत्त्व रामायण काल से जुड़ा हुआ है। शास्त्रों के अनुसार जब रावण सीता मां को हरण करके लंका ले गया था तो भगवान श्रीराम उन्हें खोजते हुए जिन स्थानों पर गए थे, उनमें दंडकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब मर्यादा पुरूर्षोत्तमराम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध बुध खो बैठी और प्रेमवश चख चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। कहते हैं कि गुजरात के डांग जिले में वह स्थान आज भी है, जहां शबरी मां का आश्रम था। बसंत पंचमी के दिन ही प्रभु रामचंद्र वहां पधारे थे। इसलिए बसन्त पंचमी का महत्व बढ़ गया।
किसी भी शुभ कार्य को शुरू करना श्रेयस्कर
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए श्रेष्ठ दिन होता है इसलिए इस दिन को अबूझ मुहूर्त के तौर भी जाना जाता है। इस दिन किसी शुभ कार्य को करने के लिए मुहूर्त देखने या पंड़ित से पूछने की जरूरत नहीं होती। बसंत पंचमी का दिन शादी के बंधन में बंधने के लिहाज से भी बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है।
बसंत पंचमी पर ना करें यह काम
- बसंत पंचमी का दिन माता सरस्वती को समर्पित होता है इसलिए इस दिन व्यक्ति को भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। मास-मदिरा की जगह इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करें। ऐसा करनेसे मां सरस्वती आपसे प्रसन्न रहेंगी।
- बसंत पंचमी के दिन व्यक्ति को काले, लाल या नीले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। इन रंगों की बजाए व्यक्ति को पीले वस्त्र पहनना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि माता सरस्वती को पीला रंग अधिक पसंद है।
- इस दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए। सुबह सवेरे स्नान करके सबसे पहले मां सरस्वती का पूजन करें उसके बाद ही कुछ खाएं। कुछ लोग मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं।
- बसंत पंचमी बसंत ऋतु के आगमन का पर्व है इसलिए इस दिन हरे पेड़ पौधों को नहीं काटना चाहिए। पेड़ पौधों को काटने की बजाय उन्हें और लगाएं। साथ ही अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
- बसंत पंचमी के दिन ब्रह्यचर्य धर्म का पालन करना चाहिए।
- बसंत पंचमी पर पितृ तर्पण करने का भी विधान है इसलिए घर में शान्ति बनाए रखनी चाहिए व आज के दिन कलह, लड़ाई-झगड़े भूलकर भी ना करें क्योंकि ऐसा करने से माता सरस्वती रूष्ट हो जाती है।
- इस दिन अपने गुरू का आदर सत्कार करना चाहिए क्योंकि गुरू ही ज्ञान प्रदान करने वाला होता है और गुरू का अपमान करने वाले को माता सरस्वती के कोप का भाजन बनना पड़ता है।
- बसंत पंचमी पर अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए व झूठ भी नहीं बोलना चाहिए।
Excellent work for this story
जवाब देंहटाएंThanks for appreciation
हटाएंGreat
जवाब देंहटाएं👍 nice
जवाब देंहटाएंDhanyawaad
हटाएंत्यौहार वो शब्द हे जो नाराज़ लॉगो को फिर से मनाया जाए
जवाब देंहटाएंसब नाराजगी खत्म कर कर के फिर से वो रिश्ता मजबूत किया जाए
त्यौहार उसको बोला गया हे जो अपना कोई नाराज़ हे या कोई रिश्तेदार नाराज़ हे उस व्याक्ति को मनाया जाए और उसके साथ त्यौहार का आनंद लिया जाए
आज के लोग इस सब का उल्टा कररहे हे
अपने घर पर हि त्यौहार नाम के लिए मना रहे हे
जब के पूर्व काल के लोग अपने भाई चारा बढ़ाने के लिए त्यौहार के वक़्त अपने आस पास के लॉगो को एक साथ लेकर त्यौहार का आनंद लेते थे
पहले के लोग हिन्दू मुस्लिम सब लोग एक दूसरे के त्यौहार मनाते थे मगर आज सब कुछ बांट दिया गया साथ हि साथ त्यौहार
Hi
जवाब देंहटाएंHlo
हटाएंGood article
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