Jagannath Temple Mystery : जगन्नाथ मंदिर के आश्चर्यजनक रहस्य, विज्ञान के पास भी नहीं है जवाब


Jagannath Temple Mystery

Jagannath Temple Mystery: पुरी का जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) हिन्दु धर्म की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है। जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) विष्णु (Lord Vishnu) के 8वें अवतार श्रीकृष्ण (Shri krishna) को समर्पित है। यहां भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) बड़े भाई बलभद्र (Balbhadra) और बहन सुभद्रा (Subhadra) के साथ विराजते हैं। पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ यानी की स्वर्ग बताया गया है। ऐसा वर्णित है कि पुरी में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था। यह पौराणिक मंदिर अपने आप में अलौकिक है। इस मंदिर से जुड़े कई ऐसे रोचक तथ्यों (Jagannath Temple Mystery) है जिनका जवाब आज तक विज्ञान के पास भी नहीं है। आज के लेख में हम इस मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे ही चमत्कारी रहस्यों (Jagannath Temple Mystery) के बारे में बतायेंगे जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है -

यह भी पढ़े-  पूजा करते अपनाये यह नियम

Jagannath Temple Jhanda

हवा के विपरीत दिशा में लहराता है झंडा 

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। हवा का रुख जिस दिशा में होता है झंडा उसकी विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा किन कारणों से होता है। इसके वैज्ञानिक कारण का आज तक पता नहीं लगाया जा सका है। 


Jhanda Change


रोज बदला जाता है ध्वज

मंदिर के गुंबद के ऊपर जो झंडा लगा है उसे बदलने के लिए हर दिन एक पुजारी 45 मंजिला इमारत के बराबर ऊँचाई वाले मंदिर की दीवारों पर चढ़ता है। यह प्रक्रिया बिना किसी सुरक्षात्मक गियर के नंगे हाथों से प्रतिदिन दोहराई जाती है। यह अनुष्ठान उस दिन से निरंतर चला आ रहा है जिस दिन से मंदिर का निर्माण किया गया था। माना जाता है कि ये रिवाज बीते 1800 साल से चल रहा है। ऐसी मान्यता यह है कि अगर एक दिन भी इस अनुष्ठान को छोड़ दिया जाता है, तो मंदिर 18 साल तक बंद रहेगा।


Sudarshan Chakra Rahsya


सुदर्शन चक्र का रहस्य 

मंदिर के शिखर पर सुदर्शन चक्र लगा है। मंदिर पर लगा ये चक्र 20 फीट ऊंचा है और एक टन से ज्यादा भारी है। ये चक्र मंदिर के ऊपरी हिस्से पर लगा हुआ है। इस चक्र से जुड़ी एक खास बात है कि आप इसे किसी भी दिशा से देखते हैं, चक्र एक ही रूप के साथ दिखता है। यह ऐसा है जैसे इसे हर दिशा से एक जैसा दिखने के लिए डिजाइन किया गया था। इस चक्र को आप जिस भी दिशा से देखने की कोशिश करेंगे ये आपको अपने सामने ही नजर आएगा। 


Jagannath Temple Nahi Udata Koi Pakshi


नहीं उड़ता कोई पक्षी 

आम तौर पर हम पक्षियों को किसी मंदिर के गुमंद के ऊपर बैठे, आराम करते और उड़ते हुए देखते हैं लेकिन इस मंदिर से जुड़ा एक रोचक तथ्य है कि यह विशेष क्षेत्र पक्षियों से प्रतिबंधित है। मंदिर के गुंबद के ऊपर एक भी पक्षी नहीं है, यहां तक कि हवाई जहाज को भी मंदिर के ऊपर मंडराते हुए भी नहीं देखा जा सकता है। ऐसा लगता है कि परमात्मा ने इस क्षेत्र को नो फ्लाइंग जोन (No Flying Zone) घोषित कर दिया है। 


जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir) करीब चार लाख वर्ग फीट एरिया में है। इसकी ऊंचाई 214 फीट है। आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि दिन में किसी वक्त किसी भी इमारत या चीज या इंसान की परछाई जमीन पर जरूर दिखाई देती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir) की परछाई कभी किसी ने नहीं देखी।


Jagannath Temple Rasoi


जगन्नाथ पुरी की हैरान करने वाली रसोई 

जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। यह रसोई सबको हैरान करने वाली है। इस रसोई में हर रोज करीब 1 लाख लोगों का खाना बनता है। रसोई में प्रसाद तैयार करने के लिए एक बार में किचन में कम से कम 800 लोग काम करते हैं। इसमें से करीब 500 रसोइए होते हैं और 300 लोग इनकी मदद के लिए होते हैं। प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं और यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी पर ही पकाया जाता है लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सबसे ऊपर के बर्तन का खाना सबसे पहले पकता है जबकि सबसे नीचे के बर्तन का खाना सबसे पहले पकना चाहिए। वैज्ञानिक रूप से इस बात का रहस्य आज तक नहीं मिला। 


जगन्नाथ भगवान को हर दिन 6 वक्त भोग लगाया जाता है, जिसमें 56 तरह के पकवान शामिल होते हैं। मंदिर में हर दिन तैयार किया गया प्रसादम को महाप्रसाद (Mahaprasad) कहा जाता है। भोग के बाद ये महाप्रसाद (Mahaprasad) मंदिर परिसर में ही मौजूद आनंद बाजार में बिकता है। किसी भी एक दिन जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) में चाहे जितने भी श्रद्धालु आ जाये, लेकिन मंदिर में बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता। चाहे लाखों की संख्या में भक्त मंदिर पहुंच जाये लेकिन जैसे ही मंदिर का द्वार बंद किया जाता है, प्रसाद खत्म हो जाता है। चमत्कारिक रूप से, यदि इस प्रभावी प्रबंधन को प्रभु इच्छा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। 


शांत जल

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में 4 द्वार हैं। इन चारों द्वारों में से मुख्य द्वार का नाम है ‘सिम्हद्वारम’। जब श्रद्धालु सिम्हद्वारम से मंदिर में प्रवेश करते हैं तो समुद्र की लहरों का शोर मंदिर के अंदर सुनाई नहीं देता जबकि समुद्र मंदिर के पास ही है। जब आप मंदिर से बाहर निकलते हैं तो लहरों का शोर वापस सुनाई देने लगता है। इस घटना का भी कोई वैज्ञानिक स्पष्टीकरण आज तक नहीं मिला। 


हवा की विपरीत दिशा 

पृथ्वी पर कोई भी जगह हो दिन के समय समुद्र से हवा आती है और शाम को विपरीत होती है, लेकिन पुरी में समुद्र के पास की हवा की चाल भी बदल जाती है, यहां इसका विपरीत होता है। दिन में, हवा जमीन से समुद्र की ओर बहती है और शाम को हवा का बहाव इसके विपरीत होता है।

इतने आश्चर्यजनक और श्रद्धा व भक्ति से ओत प्रोत जगन्नाथ पुरी का यह मंदिर वास्तव में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। 


(अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें ताकि हिन्दू धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार हो। अगर आपको हमारे ब्लाॅग पर प्रकाशित लेख अच्छे लगे तो हमारे Facebook Page से जुड़े व इसी तरह के लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हमारे ब्लाॅग hindudharmsansaar.blogspot.com  के साथ।)


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Aditya Hridaya Stotra : आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से चमकेगी किस्मत, जानिए आदित्य हृदय स्तोत्र की महिमा

Raksha Bandhan Special : कब है रक्षाबंधन, जानिए रक्षाबंधन का महत्व व इससे जुड़ी सभी बाते

Aarti ke Niyam : पूजा के बाद क्यों की जाती है आरती, जानिए इसके पीछे का बड़ा कारण