Vaibhav lakshmi vrat : धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित है वैभव लक्ष्मी व्रत, जाने व्रत से संबंधित सभी कुछ

Vaibhav laxmi vrat
Vaibhav laxmi vrat : आज के समय हर कोई मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) का साथ चाहता है। जीवन में पैसों की कमी न हो इसके लिए लोग मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका? 

जी हां, अगर आपसे मां लक्ष्मी रूठ गई हैं तो आप उन्हें वैभव लक्ष्मी व्रत (Vaibhav laxmi vrat) से मना सकते हैं। वैभव लक्ष्मी व्रत (Vaibhav laxmi vrat) को शुक्रवार (Friday) के दिन किया जाता है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी, मां दुर्गा (Mata Durga) व संतोषी माता (Santoshi Mata) का माना जाता है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन विधि-विधान से पूजा करने से मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनका साथ हमेशा बना रहता है। 

यह भी पढ़े-  ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

कब से शुरू करना चाहिए वैभव लक्ष्मी व्रत  

वैभव लक्ष्मी का व्रत (Vaibhav laxmi vrat) शुक्रवार के दिन रखा जाता है। ऐसे में इस व्रत को शुक्रवार से शुरू करना चाहिए। इस दिन माता संतोषी की पूजा भी होती है लेकिन व्रतों का विधान अलग-अलग है।

कौन कर सकता है वैभव लक्ष्मी व्रत

इस व्रत को पुरुष व स्त्री दोनों ही कर सकते हैं। सुहागिन स्त्रियों के लिए यह व्रत ज्यादा शुभकारी माना जाता है। व्रत का संकल्प लेने के दौरान मन में अपनी मनोकामना अवश्य कहनी चाहिए। भक्त को अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार 11 या 21 शुक्रवार तक मां वैभव लक्ष्मी का व्रत (Mata vaibhav laxmi vrat) जरूर करना चाहिए।


वैभव लक्ष्मी माता का व्रत करने की विधि

मां वैभव लक्ष्मी के व्रत (Vaibhav laxmi vrat) को रखने की विधि बेहद आसान है। जो व्यक्ति पहली बार मां वैभव लक्ष्मी का व्रत रख रहा है। सबसे पहले शुक्रवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर, स्नान आदि करके देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। यह व्रत 9, 11 और 21 शुक्रवार के लिए रखा जाता है। व्रत का संकल्प लेने के बाद आपको उतने शुक्रवार पूरी श्रद्धा के साथ मां वैभव लक्ष्मी का व्रत रखना होता है और फिर व्रत के अंतिम शुक्रवार के दिन उद्यापन करना होता है। व्रत वाले दिन साफ वस्त्र पहनकर देवी लक्ष्मी के वैभव स्वरूप की पूजा करें। 

वैभव लक्ष्मी की पूजा शाम के समय की जाती है। व्रत के दौरान पूरे दिन फलाहार करें। शाम को अन्न ग्रहण कर सकते हैं। शुक्रवार को शाम को स्नान करने के बाद पूर्व दिशा में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। पूजा स्थल पर वैभव लक्ष्मी का चित्र स्थापित कर उन्हें लाल या श्वेत पुष्प चढ़ाएं, तथा लाल या श्वेत चंदन का तिलक लगाएं। 

इसके बाद माता वैभव लक्ष्मी को अक्षत, पुष्प, फल, कमलगट्टा, धूप, दीप, गंध आदि चढ़ाकर पूजन करें। इसके बाद माता वैभव लक्ष्मी को चावल की खीर का भोग लगाएं। अगर किसी कारणवश खीर न बना सकें तो मां लक्ष्मी को भोग में आप सफेद मिठाई या फिर बर्फी का भी प्रयोग कर सकते हैं। मां लक्ष्मी को यह भी प्रिय है। तत्पश्चात वैभव लक्ष्मी की आरती करें। पूजा के बाद लक्ष्मी स्तवन का पाठ करें। या फिर वैभव लक्ष्मी मंत्र का यथाशक्ति जप करें-


या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।


या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥


या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।


सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥


पूजा के वक्त श्रीयंत्र को लक्ष्मी माता के पीछे रखें और पहने उसकी पूजा करें और उसके बाद वैभव लक्ष्मीजी की पूजा करें। उसके बाद व्रत कथा पढ़ें और फिर गोघृत दीपक से आरती करें। कथा पूजन के बाद मन ही मन ही मन कम से कम 7 बार अपनी मनोकामना को दोहराएं और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। उसके बाद मां लक्ष्मी का प्रसाद ग्रहण करके घर के मुख्य द्वार पर घी का एक दीपक जलाकर रखें।

इसके बाद तस्वीर के आगे मुट्ठी भर चावल रखें और उस पर जल से भरा तांबे का कलश रखें। इस कलश के ऊपर एक कटोरी रखें और उसमें सोने या चांदी का एक गहना रखें, यदि आपके पास सोने-चांदी का कोई गहना नहीं है तो आप उसमें थोड़े पैसे रख सकते हैं। इसके बाद मां वैभव लक्ष्मी को लाल चंदन का तिलक लगाएं और लाल रंग का कोई पुष्प चढ़ाएं। अब पूरे मन से वैभव लक्ष्मी माता की कथा पढ़ें। अगर आपके घर में और भी सदस्य हैं तो उन्हें भी पूजा में शामिल करें। 

पाठ पूरा करने के बाद देवी की आरती करें और सभी में प्रसाद बाटें। इसके साथ ही जो चावल आपने लाल कपड़े में कलश के नीचे रखे थे उसे पक्षियों को खाने के लिए दे दें। वहीं कलश में भरे जल को घर के हर कोने में छिड़क दें, इससे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। पूजा के पूर्ण होने के बाद मां वैभव लक्ष्मी के आगे अपनी मनोकामना को रखें और उसे पूरा करने की प्रार्थना करें। इसके बाद आप भोजन ग्रहण कर सकती हैं। 


वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाना चाहिए

व्रत में आप पूरे दिन फल खा सकती हैं, फलों का जूस पी सकती हैं, पानी ग्रहण कर सकती हैं और रात में पूजा के बाद अन्न भी ग्रहण कर सकती हैं। 

इसके अलावा आप कच्चे केले की टिक्की,  सिंघाड़े की नमकीन बर्फी, साबूदाने का पुलाव, कूटू की सब्जी, कूटू के पराठे,  खीरे, आलू,  मूंगफली का सलाद भी ले सकते हैं।


वैभव लक्ष्मी माता के व्रत का महत्व 

देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से एक वैभव लक्ष्मी, मां का वह स्वरूप है, जिसकी पूजा-अर्चना करने से दरिद्रता मिटती है और घर में वैभव का आगमन होता है। यह व्रत खासतौर पर किसी काम में आ रही बाधा और आर्थिक संकट को दूर करने, साथ ही मार्ग से भटके हुए व्यक्ति को सही रास्ता दिखाने के लिए किया जता है। 

वैभव लक्ष्मी व्रत को करने से जीवन में धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।  इस व्रत को रखने से घर-परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहती है। 

यह व्रत आपके अंदर सकारात्मक सोच लाता है। इस व्रत को रखने से भटका हुआ व्यक्ति रास्ते पर आता है। जो लोग आर्थिक संकट से गुजर रहे होते हैं, उन्हें भी देवी सही मार्ग दिखाती हैं। घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। 

घर-परिवार में चल रहे विवाद खत्म हो जाते हैं। इस व्रत में नमक से बना कोई भी खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना है।

व्रत वाले दिन मन में बुरे विचार, ईष्या-द्वेष की भावना, लड़ाई-झगड़ा और विवाद न करें, इससे आपका व्रत खंडित हो सकता है और देवी लक्ष्मी आपसे नाराज भी हो सकती हैं।

भूलकर भी ना करें ये काम

वैभव लक्ष्मी के व्रत में सात्विक भोजन ही ग्रहण करें और अपने मन और शरीर को भी सात्विक रखें। इस दिन किसी तरह के बुरे या नकारात्मक विचारों को मन में न आने दे। अपने मन में लोभ, ईष्या या धृणा जैसे भावों को भी न रखें। जिस दिन आपका व्रत हो उस दिन घर में प्याज-लहसुन का भोजन न बनवाएं।


(अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें ताकि हिन्दू धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार हो। अगर आपको हमारे ब्लाॅग पर प्रकाशित लेख अच्छे लगे तो हमारे Facebook Page से जुड़े व इसी तरह के लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हमारे ब्लाॅग  hindudharmsansaar.blogspot.com  के साथ।)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Aditya Hridaya Stotra : आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से चमकेगी किस्मत, जानिए आदित्य हृदय स्तोत्र की महिमा

Raksha Bandhan Special : कब है रक्षाबंधन, जानिए रक्षाबंधन का महत्व व इससे जुड़ी सभी बाते

Aarti ke Niyam : पूजा के बाद क्यों की जाती है आरती, जानिए इसके पीछे का बड़ा कारण